Surdas (सूरदास) ka jivan parichay in hindi | पेपर में 4 अंक पक्के
Kavi Surdas - भक्ति काल के कृष्ण भक्ति शाखा के महान कवि सूरदास का कवि परिचय आज हम आपको बताने वाले हैं हम कवि सूरदास के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालेंगे।
हम सूरदास का जीवन परिचय सरल और आकर्षक ढंग से लिखना बताएंगे जोकि आपके परीक्षाओं के दृष्टिकोण से बहुत ही आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा इसको याद करना भी आपके लिए बहुत आसान होगा हम निम्न बिंदुओं के आधार पर कृष्ण भक्ति शाखा के कवि सूरदास के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे -
- सूरदास का जीवन परिचय
- सूरदास की रचनाएं
- सूरदास का भाव-पक्ष
- सूरदास का कला-पक्ष
- सूरदास का साहित्य में स्थान
उपरोक्त बिंदुओं के आधार पर हम कवि सूरदास का साहित्यक परिचय के बारे मेें चर्चा करेंगे
सूरदास (Surdas)
सूरदास (Surdas) का जीवन परिचय-
कवि सूरदास का जन्म सन 1478 ईसवी ( वैशाख शुक्ल पंचमी संवत 1535 विक्रमी ) में आगरा मथुरा मार्ग में स्थित रुनकता नामक ग्राम में हुआ था। कुछ विद्वान ऐसा मानते हैं की कवि सूरदास का जन्म सीही नामक ग्राम में हुआ था, यह ग्राम दिल्ली के निकट है। सूरदास के पिता का नाम पंडित रामदास सारस्वत था तथा माता का जमुनादास था। सूरदास के विवाह के संबंध में कोई कोई ठोस साक्षी नहीं मिले फिर भी उनकी पत्नी का नाम रत्नाब रतनाबाई बताया जाता है सूरदास जन्म से ही अंधे थे सूरदास मंदिर में भजन करते थे एक बार आचार्य वल्लभाचार्य ने उनके भजन सुने और वह उनसे बहुत प्रभावित हुए और आचार्य वल्लभाचार्य ने सूरदास को अपना शिष्य बना लिया सूरदास ने आचार्य वल्लभाचार्य के संपर्क में आने के बाद कृष्ण लीलाओं का बहुत ही सजीव अंकन किया। सूरदास भगवान कृष्ण के अन्य भक्त थे ऐसा कहा जाता है कि सूरदास ने सवा लाख पदों की रचना की किंतु अभी तक पूरे सवा लाख पदों ज्ञात नहीं हुए हैं। हिंदी साहित्य के महान कवि सूरदास जी की सन 1583 ईसवी में परसोली नामक ग्राम में मृत्यु हो गई।
सूरदास (Surdas) की रचनाएं-
- शिव सागर
- सूरसागर
- सूर सारा वाली
- साहित्य लहरी
सूरदास (Surdas) का भाव पक्ष -
सूरदास भक्ति काल के कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं सूरदास ने अपने काव्य में कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया है उनके काव्यों कहीं-कहीं पर मार्मिकता भी है सूरदास की उत्कृष्ट रस योजना के आधार पर उन्हें रससिद्ध कवि कहकर पुकारा जाता है । इनके काव्यों में शांत, श्रंगार और वात्सल्य रस स्पष्ट रूप से देखते हैं सूरदास ने श्रंगार रस के दोनों रूपों संयोग और वियोग का बहुत ही अच्छे से प्रयोग किया है।
सूरदासजी (Surdas) का कला पक्ष-
सूरदास ने लालित्य प्रदान ब्रज भाषा का प्रयोग किया है इनके काव्यों में माधुर्य और प्रसाद गुण दर्शनीय है सूरदास ने अपने रचनाओं में उपमा तथा रूपक अलंकार का प्रयोग किया है इनके सभी पद गेय है सूरदास ने मुक्तक छन्द में गेय पदों की रचना की है।
सूरदास (Surdas) का साहित्य में स्थान -
सूरदास वास्तव में हिंदी साहित्य के सूर है सूरदास को उनकी काव्यकला और उनकी प्रतिभा के योगदान के लिए हिंदी साहित्य सदैव उनका ऋणी रहेगा सूरदास जी हिंदी जगत में सदैव चिरस्मरणीय रहेंगे।
Note- Surdas (सूरदास) ka jivan parichay post में हमने आपको कवि सूरदास का जीवन परिचय, रचनाएं, भाव पक्ष, कला पक्ष और साहित्य में स्थान के बारे में जानकारी दी है सूरदास के जीवन परिचय के बारे में परीक्षाओं में भी पूछ लिया जाता है तो आप यहां से तैयारी करें। और दोस्तों आपको यह पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर करें और हमें कमेंट अपनी राय अवश्य दें।
एक टिप्पणी भेजें