samay ka sadupyog par nibandh - दोस्तों हमने बचपन से अब तक कई तरह की बाते सुनी और सीखी हैं। उनमें से एक प्रमुख बात यह भी है जो हमारे बुजुर्ग हमेशा हमसे कहते रहते हैं कि समय का सदुपयोग करो, समय को व्यर्थ मत गवाओं। किंतु हम इस पर ध्यान नहीं देते और बड़ों की इस बात को व्यर्थ ही समझते हैं।लेकिन जब हम अपने जीवन मे व्यस्थ होते हैं तो समय का महत्व समझ आता है और हम जान पाते हैं कि समय का सदुपयोग कितना जरूरी होता है।
ऐसे विषयों पर निबंध लेखन करने के प्रश्न पेपर में पूछे जाते हैं।यदि हमें जानकारी हो तो हम किसी भी विषय पर निबन्ध लिख सकते हैं। तो जिस विषय पर हम निबन्ध लिख रहे हैं उसकी परिभाषा तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी उसकी होनी चाहिए। तभी हम उस पर निबन्ध लिखने में सफल हो सकते हैं।तो चलिए हम अपना आज का विषय समय के सदुपयोग पर निबन्ध लेखन शुरू करते हैं।
निबन्ध
समय का सदुपयोग
अथवा
समय का महत्व
विस्तृत रूपरेखा (1) प्रस्तावना,
(2) समय जीवन की सफलता का मापदण्ड,
(3) समय के सदुपयोग से लाभ,
(4) जीवन मे समय का सामंजस्य कितना आवश्यक है,
6) उपसंहार।
समय का पहिया ना रुका है, ना रुकेगा।
बस हर कोई उसके सम्मुख झुकेगा।।
प्रस्तावना - जीवन मे समय का सामंजस्य बहुत अधिक आवश्यक है । हम नष्ट की हुई सम्पत्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए निरन्तर मेहनत करते है तो एक दिन उसे पाने में सफलता मिल जाती है। खोया हुआ स्वास्थ्य और खोया हुआ धन पुनः प्राप्त किया जा सकता है किन्तु खोया हुआ समय फिर से वापस नहीं आता। समय न तो मनुष्य की प्रतीक्षा करता है और न ही परवाह। समय का पहिया जो तेजी से चल रहा है, उसको कोई भी रोक नहीं सकता।
किसी महापुरुष ने कहा है कि प्रत्येक क्षण में विद्या (ज्ञान) प्राप्त करो और कण-कण जोड़कर धन पाओ। क्षण भर का समय नष्ट हो जाए तो विद्या कहाँ और कण नष्ट हो जाए तो धन नहीं। तुलसीदास जी के ने भी कहा है:
"दिवस जात नहीं लागत बारा"
दिन जाते देर नहीं लगती। जो समय पर जाग नहीं सका, वही पीछे रह गया। नदी बहती है, घड़ी चलती है, सूरज, चाँद तथा तारे भी विश्राम नहीं करते तो फिर हम क्यों आराम करें। समय को व्यर्थ न गंवायें, उसका सदुपयोग करें। विद्वान लोगों का समय अच्छे शास्त्रादि को पढ़ने में व्यतीत होता है लेकिन अधिकतर लोगों का समय बुरे व्यसनों, लड़ाई-झगड़े तथा निद्रा आदि में ही व्यतीत होता है-
"काव्यशास्त्र विनोदेन काल: गच्छति धीमताम्
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।"
समय जीवन की सफलता का मापदण्ड-जीवन की सफलता का रहस्य समय के सही उपयोग में निहित है। संसार के सभी प्राणियों का समय पर समान रूप से अधिकार है। समय की उपयोगिता साधारण से साधारण व्यक्ति को भी महान् बनाती है। महापुरुषों के चरित्र से हमें प्रेरणा मिलती है। उन्होंने एक-एक क्षण का उपयोग किया तभी जीवन में उन्हें सफलता मिली। हमें प्रातः शीघ्र उठकर दिनभर के कार्यक्रम की रूपरेखा बना लेनी चाहिए और आज के कार्यों को आज ही सम्पन्न कर लेना चाहिए। जो व्यक्ति निश्चित उद्देश्य को सामने रखता है उसे अपना रास्ता स्पष्ट दिखायी देता है। वह उलझन में नहीं रहता और पूर्ण मनोयोग से उस कार्य की ओर बढ़ता है। समय के महत्त्व को समझने वाला दुःखी नहीं होता। समय के सदुपयोग का तात्पर्य है नियमित होना। जो अपनी दिनचर्या नियमित रखते हैं वे ही कुछ कर पाते हैं। समय से सोना, समय से उठना, भोजन, अध्ययन, भ्रमण, मनोरंजन, पूजन आदि का समय निश्चित करें। अपने बुजुर्गों के पास बैठें, उनकी सेवा करें। जो व्यक्ति काम टालने वाले होते हैं वे सदैव पछताते है। कबीरदासजी ने कहा है :
"काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलय होयगी, बहुरि करैगो कब॥"
समय के सदुपयोग से लाभ-समय के सदुपयोग से व्यक्ति की उन्नति होती है, अत: बचपन से ही हमें समय के मूल्य का ध्यान रखना चाहिए। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नियमित होना आवश्यक है और अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमें अपने खाली समय में स्वाध्याय हेतु अच्छे-अच्छे ग्रन्थों को पढ़ना चाहिए। अपने से अधिक बुद्धिमान लोगों से चर्चा करनी चाहिए। कभी किसी काम को देर से शुरू न करें, क्योंकि प्रारम्भ की देरी से बाद में भी विलम्ब हो जाता है और फिर उसके बाद के अन्य कामों की सब व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है।
समय लाभ सम लाभ नहीं समय चूक सम चूक।
चतुरन चित रहिमन लगी,समय चूक की हूक।।
जीवन में समय का सामंजस्य कितना आवश्यक है? -देश और समाज के प्रति भी हमारा कर्तव्य है। हमें सेवा, परोपकार हेतु भी समय निश्चित रखना चाहिए जिससे देश और समाज का भी उन्नति हो। वर्तमान में विज्ञान का युग होने से हमारी दैनिक जिन्दगी में समय की बचत होने लगी है। यात्रा, लेखन कार्य, भोजन सभी क्षेत्रों में समय बचने लगा है। घण्टों का काम।मिनटों में सम्पन्न हो जाता है। समय का सदुपयोग करने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्न रहता है। उसे चिन्ता नहीं रहती कि उसका कोई काम अधूरा है। थोड़े समय में वह अधिकाधिक काम कर लेता है। जो लोग बेकार बैठे रहते हैं, वे समाज में परेशानी पैदा करते हैं, जैसे उन्हें यदि पैसों की जरूरत है तो वे काम न करके जेब काटेंगे या चोरी करेंगे। जिसके पास समय की कीमत है वह व्यर्थ की बातों में समय न गंवाकर काम करके पैसा कमाता है और अपनी आवश्यकता पूरी करता है। ऐसे व्यक्ति का सभी आदर करते हैं। समय का सदुपयोग करने वाला व्यक्ति जीवन में उन्नति करता है क्योंकि परिश्रम और तपस्या से ही किसी व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाता है कि वह अपना समय कैसे बिताता है। सत्पुरुष स्वयं सद्मार्ग पर चलकर दूसरों को भी समय बचाने की प्रेरणा देते हैं ताकि चूक जाने पर पछताना न पड़े। भारत में जीवन के समय को चार भागों में बाँटा गया है और उस समय नियत कार्य ही समय का सदुपयोग है।
"प्रथमे नार्जिते विद्या, द्वितीये नार्जिते धनं।
तृतीय नार्जिते पुण्य, चतुर्थ किम करिष्यति ?"
अर्थात् जीवन के प्रथम भाग में यदि विद्याध्ययन न किया, द्वितीय भाग में धन नहीं कमाया और प्रौढ़ावस्था में परोपकार या पालन-पोषण कर पुण्य नहीं कमाया तो जीवन के अन्तिम चरण में क्या कर लोगे?
उपसंहार-हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए तथा उन लोगों से बचना चाहिए जो समय का सदुपयोग नहीं करते। आलस्य, स्वार्थीपन, बुरी संगति तथा दीर्घसूत्री (काम टालना) ये सब शत्रु हैं। इन्हें पास नहीं फटकने देना चाहिए।
अर्थात् आलस्य ही मनुष्य के शरीर का सबसे बड़ा शत्रु है। व्यर्थ की गपशप, घण्टों तक दुर्व्यसन, लड़ाई-झगड़ा या सोते रहना-ये सब समय का दुरुपयोग हैं। जब प्रकृति, पशु-पक्षी सब में समय की नियमितता है तो हम तो मनुष्य हैं। अतः आज से ही समय का सदुपयोग करें,यही सफलता की कुंजी है। सफलता का वास्तविक रहस्य समय के सदुपयोग में निहित है।
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