समाचार पत्र पर निबंध लेखन | निबंध लिखने का सही तरीका

Samachar Patra per nibandh - निबंध लेखन एक कला है जिसमें कई सारी बारीकियां होती हैं। वैसे तो निबंध सभी आसानी से लिख लेते हैं लेकिन निबंध लिखने का सही तरीका और उसे किस प्रकार सटीकता से लिखा जाए यह सभी को नहीं आता। यह देखा जाता है की विद्यार्थी जो निबंध लिखते हैं उसमें कई त्रुटियां देखने को मिलती है जिससे आपको पूरे नंबर नहीं मिल पाते और निबंध मैं आपक अधिकतर नंबर काट लिए जाते है।
समाचार पत्र पर निबंध लेखन | निबंध लिखने का सही तरीका

 आज हम आपको समाचार पत्र पर निबंध लिखना बताएंगे जिसने सभी तथ्यों को अच्छी तरह से दर्शाया जाएगा। निबन्ध  लेखन में सबसे महत्वपूर्ण उसकी रूपरेखा होती है। और इसके बाद प्रस्तावना होती है प्रस्तावना में आपको  प्रस्तावना का प्रारंभ आपको किसी महापुरुष की उक्ति से करना  होता है। जिस विषय पर आप निबंध लिख रहे हैं वह विषय क्या है? उसका स्पष्टीकरण आपको प्रस्तावना में देना होता है। जिस विषय पर आप निबंध लिख रहे हैं उसका हमारे जीवन में और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा वर्तमान समय में उसकी उपयोगिता क्या है? आपके विषय का प्राचीन काल में क्या महत्व और स्थिति थी और वर्तमान में क्या-क्या परिवर्तन आए इन सब को संक्षेप में लिखना होता है।

जब आप निबंध लिखो तो अपने विषय के विस्तार में आप कई सारे तथ्य और पैराग्राफ लिख सकते हैं। और सबसे आवश्यक होता है उपसंहार होता है जो कि निबंध का आखिरी भाग होता है। इसमें आपको संपूर्ण निबंध का सार लिखना होता है ।आपकी निबंध की सफलता उपसंहार पर निर्भर करती है।

समाचार पत्र का महत्व निबन्ध की रूप रेखा 

  • प्रस्तावना
  • समाचार पत्र के प्रकार
  • प्राचीन काल में समाचार पत्र की महत्ता
  • समाचार पत्र से लाभ
  • समाचार पत्र से हानियां
  • उपसंहार

प्रस्तावना- मानव जिज्ञासु प्रवृत्ति का प्राणी है। उसकी आदिकल से ही यह जिज्ञासा रहि है कि वह जगह जगह की होने वाली घटनाओं से परिचित रहे ऐसे में समाचार पत्र मानव की जिज्ञासा पूर्ति का अच्छा साधन बनकर उभरा है। आज के समय मे सुबह उठते ही चाय से पहले समाचार पत्र पढ़ने की आदत हो चुकी है। समाचार पत्र के माध्यम से मानव को देश विदेश की धार्मिक सामाजिक आर्थिक हर प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है

 प्राचीनकाल में समाचार पत्रों का रूप-

समाचार पत्रों का समाज में समाचार लेकर उपस्थित होना कोई नवीन रूप नहीं है। प्राचीनकाल में भी समाचारों का आदान-प्रदान सन्देश वाहकों से होता था। चाहे वे सन्देश वाहक मानव हो, पशु हो या पक्षी। ये समाचार एक स्थान से दूसरे स्थान तक व्यक्तिगत सन्देश के रूप में भेजे जाते थे। सर्वप्रथम समाचार पत्र का जन्म इटली में हुआ था। इटली के वेनिस प्रान्त में एक स्थान से दूसरे स्थान तक विचारों के आदान प्रदान के लिए समाचार पत्रों का प्रयोग होने लगा। सत्रहवीं शताब्दी में ही इस परम्परा से प्रभावित होकर इंग्लैण्ड में भी समाचार-पत्रों का प्रकाशन प्रारम्भ हो गया। इस प्रकार यह प्रक्रिया देश- देशान्तरों में वृद्धि को प्राप्त होने लगी। 

भारतवर्ष में समाचार पत्रों का प्रादुर्भाव मुगल काल में ही हो चुका था।। "अखबारात-ई-मुअल्लें" नामक समाचार-पत्र का उल्लेख हमें उस काल में मिलता है। हिन्दी में सबसे पहला अखबार कलकत्ता (कोलकाता) से प्रकाशित हुआ था। इस समाचार पत्र का नाम था "उदन्त मार्तण्ड।" भारतीय समाज-सुधारकों ने समाचार पत्रों के प्रकाशन को समाज के लिए एक आवश्यक अंग माना था। इस दिशा में राजा राममोहन राय तथा ईश्वरचन्द्र विद्यासागर आदि ने प्रशंसनीय कार्य किया।

समाचार-पत्रों के प्रकार -

समयावधि में प्रकाशन के आधार पर समाचार-पत्रों के विभिन्न रूप हैं। उदाहरण के लिए-दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्ध-वार्षिक या षट्-मासिक और वार्षिक। यह विभाजन समय के आधार पर किया गया है। विषयों के आधार पर इन्हीं समयावधि में प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र हो सकते हैं। इनको स्थान विशेष के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है। 

क्षेत्र की दृष्टि से इनका वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है-(क) अन्तर्राष्ट्रीय, (ख) राष्ट्रीय, (ग) प्रादेशिक, (घ) स्थानीय। विषय की दृष्टि से इनका और भी विभाजन किया जा सकता है-(1) राजनीतिक, (2) आर्थिक, (3) सामाजिक, (4) धार्मिक, ,(5) साहित्यिक, (6) नैतिक, (7) सांस्कृतिक, (8) क्रीड़ा, (9) मनोरंजन आदि। इस प्रकार हम देखते हैं कि समाचार-पत्रों का एक विशाल क्षेत्र है।

समाचार-पत्रों से लाभ - समाचार पत्र से समाज को बहुत लाभ होते हैं हम जानते हैं  कि विविध विषयों पर समाचार-पत्रों का प्रकाशन होता है। वर्तमान में समाज और समय की माँग के अनुसार ही विषयों के प्रकाशन होते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति को समाचार-पत्रों के माध्यम से उसकी अभिरुचि के अनुसार सामग्री के प्राप्त हो जाती है। किसी भी बात की सम्पूर्ण जानकारी समाचार-पत्रों के माध्यम से ही प्राप्त हो पाती है। आज की स्थिति में समाचार-पत्रों की उपयोगिता और अधिक बढ़ती जा रही है। संसार की गतिविधियों का सम्यक् ज्ञान इनसे होता है। आज मानव इतना अधिक जाग्रत हो गया है कि उसकी उत्सुकता तभी शान्त होती है जब वह परिस्थितियों से अवगत हो जाता है।

समाचार पत्रों के माध्यम से विभिन्न रोजगार सम्बन्धी समाचार भी प्राप्त होते हैं। व्यावसायिक पत्र-पत्रिकाओं से व्यापार सम्बन्धी ज्ञान भी हमको प्राप्त होता है। समाचार पत्रों में मनोरंजन के लिए कुछ स्तम्भ भी निकलते हैं। मनोरंजन के साथ साथ संसार में होने वाले खेल-कूदों के विस्तृत विवरण भी हमको समाचार पत्रों से प्राप्त होते हैं। इस प्रकार से व्यक्ति के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन समाचार पत्र ही है। सामाजिक हित को ध्यान में रखकर प्रकाशित होने वाली बातों के लिए भी सर्वोत्तम साधन समाचार पत्र ही है। यह एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा राष्ट्रीय चेतना को पैदा किया जा सकता है जिससे नवीन समाज का निर्माण होता है।

समाचार-पत्रों के द्वारा हम लोकतन्त्र में विभिन्न प्रकार के सुझाव, सम्मति तथा आलोचना से अपने राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक हितों की रक्षा करते हैं। इससे जनता को जागरूक एवं योग्य बनाया जा सकता है। समाज में व्याप्त कुरीतियों, भ्रष्टाचार और अन्याय की अपील सरकार से कर सकते हैं। समाचार-पत्रों के माध्यम से इनका पर्दाफाश कर सकते हैं। समाचार-पत्र मनुष्य के सर्वांगीण विकास का एक माध्यम है। इनसे जो विचार हम ग्रहण करते हैं उनसे चिन्तन शक्ति की वृद्धि होती है। श्रमिकों और श्रमजीवियों के लिए यह रोजी-रोटी का एक साधन भी है।

समाचार-पत्रों से हानियाँ-

समाचार-पत्रों से जहाँ इतने लाभ हैं वहाँ हानियाँ भी हैं। जब प्रकाशन पर नियन्त्रण कम हो जाता है तो कुछ राजनीतिक पत्र सनसनी पैदा करने के लिए कुछ छोटे और हल्के समाचारों को अधिक महत्व देते हैं जिससे समाज पर कुप्रभाव पड़ता है। समाचार-पत्र आकर्षण की दृष्टि से अश्लील चित्र प्रकाशित करते हैं। इससे पाठकों के विचार दूषित होते हैं। असत्य और भ्रामक विचारों को प्रकाशित करने से भी समाज, राज्य और राष्ट्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे विचार राष्ट्रोन्नति में बाधक होते हैं।

उपसंहार-समाचार प्रकाशन पर उचित नियन्त्रण होना चाहिए। अश्लील एवं सस्ते साहित्य और उसके प्रकाशन पर पूर्ण पाबन्दी होनी चाहिए। समाचार पत्रों की स्वतन्त्रता केवल राष्ट्र-हित, समाज-हित और मानव-कल्याण के समाचार प्रकाशन में होनी चाहिए क्योंकि ये राष्ट्र के लिए अपरिहार्य रूप सृजन शक्ति हैं। आशा है कि समाचार-पत्र एक शान्त, समृद्ध एवं सुखी दुनिया के निर्माण में अपनी पावन भूमिका का निर्वाह करेंगे।

किसी शायर के शब्दों में,

"खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो

जब तोप मुकाबिल हो, तो अखबार निकालो।"

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