सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय
Suryakant Tripathi Nirala ka Jivan Parichay- दोस्तों आज हम आपको हिंदी साहित्य के महान कवि और लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जीवन परिचय बताएंगे उनका जीवन परिचय कई बार आपके बोर्ड एग्जाम में पूछा गया है और आगे पर पूंछे जाने की संभावना है आज हम आपको सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जीवन परिचय सरल, सहज और आकर्षक शब्दों में लिखना बताएंगे सूर्यकांत त्रिपाठी निराला छायावादी कवि है। ये छायावाद के प्रमुख चार स्तम्भ में से एक है। निराला जी को प्रगतिवाद, प्रयोगवाद और नई काव्य का जनक माना जाता है। हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर हम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के जीवन परिचय को विस्तार पूर्वक जानेंगे-
- जीवन परिचय
- रचनाएं
- भाव पक्ष
- कला पक्ष
- साहित्य में स्थान
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
surya kant tripathi nirala jivan parichay / निराला जी का जीवन परिचय -
महाकवि पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म पश्चिम बंगाल के मोदीनापुर जिले के महिषादल नामक ग्राम में सन 1897 को हुआ था इनके पिता का नाम श्री राम सहाय त्रिपाठी था वे महिषादल रियासत में सिपाही कि नौकरी करते थे।निराला जी मात्र तीन वर्ष के थे जब उनकी माता का देहांत हो गया था। निराला जी का विवाह रायबरेली जिला के डलमऊ के पंडित रामदयाल की पुत्री मनोहरा देवी से हुआ था इस समय निराला जी मात्र 15 वर्ष के थे। निराला जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा महीसादल नामक ग्राम में की तथा यही से उन्होंने हाई स्कूल परीक्षा पास की। निराला जी ने घर पर ही रहकर अंग्रेजी, बंगला तथा संस्कृत भाषा का अध्ययन किया और इनकी पत्नी के कहने पर हिंदी का ज्ञान लेकर हिंदी में लेखन किया। निराला जी का जीवन आर्थिक तंगी और कई असाध्य रोगों से गुजरा। 15 अक्टूबर 1961 में निराला जी का स्वर्गवास हो गया।
रचनायें-
- अनामिका
- परिमल
- गीतिका
- सरोज-स्मृति
- अपरा
- अलका
- प्रभावती आदि इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
भाव- पक्ष
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी रूढ़िवादी विचारधारा के सख्त विरोधी थे निराला जी ने अपने कार्यों के माध्यम से समाज में व्याप्त रूढ़ियों को उजागर कर पूरी समाज में एक नई क्रांति को पैदा किया। निराला जी ने सामान्य जन की उत्पीड़न को अपने कवियों के माध्यम से चित्रित किया। आपने हिंदी साहित्य में नए-नए प्रतिमान स्थापित किये। आपने राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत ओज पूर्ण रचनाये भी की। आपके काव्यों में ओज, राष्ट्र प्रेम, अध्यात्म, रहस्य तथा समाजवादी चिंतन है।
कला- पक्ष
निराला जी की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है निराला जी ने जनजीवन, दार्शनिक, पुराण, इतिहास आदि जगह जगह से शब्द लेकर भाषा को पुष्ट किया है आपने भाव के अनुरूप भाषा का सृजन किया निराला जी ने अपने काव्य में रूपक और अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया है आप अपनी स्वयं की इच्छा से स्वच्छंदता से रचना करने वाले कवि है। निराला जी ने अपने काव्यों में मुक्तक छंद का प्रयोग किया है इन्होंने मुक्तक छंद का विकास कर आधुनिक हिंदी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की। निराला जी की छंद योजना बहुत ही निराली है
साहित्य में स्थान-
हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में आपका विशेष योगदान है निराला जी मुक्तक छंद के अविष्कारक हैं इनको हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त है निराला जी दार्शनिक एवं अद्वितीय प्रतिभा के महान कवि हैं निराला जी हिंदी जगत में उनके विशिष्ट योगदान के लिए सदैव चिर- स्मरणीय रहेंगे
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