MP board 12th Physics Trimasik Paper Solution 2021-22 PDF download

MP board 12th Physics Trimasik Paper Solution 2021-22 PDF download

MP board 12th physics Trimasik Paper solution 2021-22 :- दोस्तों आज हम क्लास 12th फिजिक्स त्रैमासिक पेपर का पूरा सॉल्यूशन आपके लिए बताने वाले हैं जिससे आप त्रैमासिक परीक्षा में अच्छे नंबर लेकर आ सके हैं और यहां से आप त्रैमासिक पेपर की तैयारी भी कर सकते हैं क्योंकि इस पोस्ट में आपको important question के साथ answer भी आपको मिलेगा।

MP board 12th Physics Trimasik Paper Solution 2021-22 PDF download

दोस्तों माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा सितंबर में त्रैमासिक परीक्षा आयोजित की जाएंगी कोरोना काल के चलते विद्यार्थियों की विगत 2 वर्षों की शिक्षा अवरुद्ध हुई है जिसके कारण इस वर्ष की होने वाली परीक्षाओं में बहुत से  परिवर्तन किये गये हैं कुछ सिलेबस भी रिड्यूस कर दिया गया है। अब विद्यार्थियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि परीक्षा की तैयारी किस प्रकार से करें परीक्षा की दृष्टि से क्या important है। तो दोस्तों  आज हम आपके लिए कक्षा 12th के physics विषय की बहुुुत महत्वपूर्ण प्रश्न - उत्तर लेकर आए हैं जो trimasik exam ही नहीं बल्कि अर्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैैैै।

MP board 12th physics त्रैमासिक Paper के लिए Solution 2021-22 PDF 

दोस्तो इस पोस्ट में हम आपको  physics के most important que. के full solution लेके आये है। आपके त्रिमासिक परीक्षा में जितना syllabus आने वाला है। उसी shyllabus को कवर किया गया है प्रश्नो को chapter वाइज लिखा गया है। आप इस पोस्ट को पूरा अवश्य पड़े । ये आपके लिए बहुत हि लाभदायक सिध्द होगी।

UnitIT - 1
Chapter - 1

विद्युत आवेश तथा क्षेत्र

प्रश्न 1-   विद्युत क्षेत्र की तीव्रता से क्या तात्पर्य है इसका मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए।

उत्तर-   विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता उस बिंदु पर रखें एक अल्प परिमाण के परीक्षण धन आवेश पर लगने वाले बल तथा परीक्षण आवेश के मान की निष्पत्ति के बराबर होती है अर्थात 

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता,E =

 उस बिंदु पर रखें परीक्षण आवेश q0 पर विद्युत बल 

परीक्षण आवेश का परिमाण

E = F/q0

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है इसकी दिशा धनात्मक परीक्षण आवेश पर लगने वाले बल की दिशा होती है।

एस आई पद्धति में विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक न्यूटन प्रति कुलम कूलॉम या बॉयज बोल प्रति मीटर होता है ।

E का विमीय सूत्र = F/q0 =[MLT-2]/[AT]

=[M1L1T-3A-1]

प्रश्न 2-  हवाई जहाज के टायर को रबर की बजाए सुचालक का बनाते हैं क्यों?

उत्तर-  हवाई जहाज के उतरते समय घर्षण के कारण टायर आवेशित हो जाते हैं यदि टायर रबर के हैं तो चूंकि  रबर, विद्युत की कुचालक होती है । अतः यह आवेश टायर पर ही रहेगा जो खतरनाक होता है टायर के सुचालक होने पर यह आवेश  टायर से पृथ्वी पर आसानी से चला जाता है।

प्रश्न 3. कूलॉम के नियम के आधार पर एकांक आवेश की परिभाषा दीजिए।

उत्तर-कूलॉम के नियमानुसार हवा या निर्वात् में 7 मीटर दूरी पर रखे Q, वQ, कूलॉम के आवेशों के बीच विद्युत् बल,

F=9x10^9  Q1Q2/r^2 न्यूटन

यदि Q1 = Q2 = 1 कूलॉम, r = 1 मीटर, तो F = 9 x 10^9 न्यूटन। अत: एक कूलॉम वह आवेश है जो अपने ही बराबर एक सजातीय आवेश से हवा या निर्वात् में 1 मीटर की दूरी पर रखने पर उस पर 9x 10^9 न्यूटन का प्रतिकर्षण बल आरोपित करता है।

प्रश्न 4. विद्युत् बल रेखा से क्या अभिप्राय है ? विद्युत् बल रेखाओं के प्रमुख चार गुण लिखिए।

उत्तर-विद्युत् बल रेखा, विद्युत् क्षेत्र में खींचा गया वह काल्पनिक चिकना वक्र है जिसके किसी भी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा, उस बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।

विद्युत् बल रेखाओं के प्रमुख चार गुण निम्न हैं-

(1) विद्युत् बल रेखाएँ धन आवेश से उत्पन्न होती हैं और ऋण आवेश पर समाप्त हो जाती हैं।

(2) विद्युत् बल रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर रखे धन आवेश पर

लगने वाले बल (अर्थात् विद्युत् क्षेत्र) की दिशा प्रदर्शित करती है।

(3) विद्युत् बल रेखाएँ बन्द वक्र न होकर, खुले वक्र होती हैं।

(4) दो विद्युत् बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं।

प्रश्न 5. विद्युत् फ्लक्स से क्या तात्पर्य है ? इसका S. I. पद्धति में मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए।

प्रश्न 6.   दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाले आकर्षण  प्रतिकर्षण बाल संबंधी कूलाम का नियम लिखिए।

प्रश्न 7. विद्युत द्विध्रुव किसे कहते हैं द्विध्रुव आघूर्ण का व्यंजक मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए।

प्रश्न 8 किसी विद्युत् द्विध्रुव के कारण अक्षीय स्थिति में किसी बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक स्थापित कीजिए।

प्रश्न 9.   विद्युत द्विध्रुव की निरक्षीय स्थिति पर उसके मध्य बिंदु से आर दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक स्थापित कीजिए 

प्रश्न 10.    गॉस प्रमेय  लिखिए तथा इसे सिद्ध कीजिए।

प्रश्न 11. गॉस प्रमेय लिखिए तथा इसके द्वारा किसी बिंदु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए तथा कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग नियम निगमित कीजिए


NOTE - प्रश्न क्रमांक 5 से प्रश्न 11 तक के सभी प्रश्नों के उत्तर आप को इस PDF में उपलब्ध हैं

Chapter - 2
विद्युत विभव तथा धारिता

प्रश्न 1. समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं ? इसकी दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर-किसी विद्युत् क्षेत्र में समान विभव के बिन्दुओं को मिलाने वाले काल्पनिक पृष्ठ को समविभव पृष्ठ कहते हैं।

विशेषताएँ- (1) समविभव पृष्ठ सदैव बल रेखाओं के लम्बवत् होता है।

(2) किसी एक समविभव पृष्ठ पर किसी आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कुछ भी कार्य नहीं करना पड़ता है (क्योंकि दोनों बिन्दुओं पर विभव समान होता है या विभवान्तर शून्य होता है)।


प्रश्न 2 विद्युत  विभव किसे कहते हैं? किसी चालक के विभव को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम लिखिए।

उत्तर-  विद्युत् विभव-विद्युत् क्षेत्र में एकांक धन आवेश को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में किये गये कार्य को उस बिन्दु पर विद्युत् विभव कहते हैं।

किसी चालक के विभव पर निम्न कारकों का प्रभाव पड़ता है-

(1) चालक का आवेश-  किसी चालक पर जितना अधिक आवेश होता है, उसका उतना ही अधिक विभव होता है।

(2) चालक का आकार-  किसी चालक के पृष्ठ का आकार कम करने पर उसका विभव बढ़ जाता है

(3) अन्य चालकों की उपस्थिति-  किसी आवेशित चालक के समीप कोई अनावेशित चालक लाने से चालक का विभव घट जाता है।

(4) चालक के चारों ओर का माध्यम-    चालक के चारों ओर कुचालक माध्यम की उपस्थिति में विभव घट जाता है।


प्रश्न 3. किसी चालक की धारिता से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर-.  जब किसी चालक को आवेश दिया जाता है तो उसका विद्युत् विभव बढ़ जाता है। चालक का विभव, उसे दिये गये आवेश के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात

                  q अनुक्रमनुपाती V  या Q = CV

यहाँ पर C एक नियतांक है जिसे चालक की धारिता कहते हैं।

यदि V= 1 तो C=Q

अतः, चालक की धारिता, चालक को दी गयी आवेश की वह मात्रा है जो चालक के विभव में एकांक वृद्धि कर दे।


प्रश्न 4. सिद्ध कीजिए कि विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता, E = -विभव प्रवणता = dV/dx

उत्तर-  यदि विद्युत् क्षेत्र में r दूरी पर A व B दो बिन्दु अत्यन्त समीप हैं, जहाँ विद्युत् विभव क्रमश: VA तथा VB हैं तथा विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता लगभग एकसमान E है तो विभवान्तर

VA - VB = एकांक धन आवेश को बिन्दु A से बिन्दु                                B तक ले जाने में किया गया कार्य

                = एकांक धन आवेश पर बल × विस्थापन

                = E × r

अतः,     E =   VA - VB/ r =     विभवान्तर/ दूरी


राशि विभवान्तर/दूरी को विभव प्रवणता भी कहते हैं जो एक सदिश राशि है जिसकी दिशा विभव बढ़ने की दिशा में होती है, जबकि विद्युत् क्षेत्र की दिशा उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होती है, 

अत: विद्युत  क्षेत्र की तीव्रता E=  -विभव प्रवणता = -dV/ dx

प्रश्न 5  विद्युत द्विध्रुव के कारण अक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर विद्युत विभव के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए। 

प्रश्न 6   सिद्ध कीजिए की विद्युत द्विध्रुव की अनुप्रस्थ या निरक्षीय स्थिति में किसी बिंदु पर विभव शून्य होता है।

प्रश्न 7.   समान धारिता  C के n संधारित्र समान्तर क्रम में समायोजित की जाती हैं तुल्य धारिता क्या होगी? सिद्ध कीजिए।

अथवा

संधारित्र किसे कहते हैं? समांतर क्रम में जुड़े हुए तीन संधारित्रों की तुल्य धारिता के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिये।


उत्तर- संधारित्र वह समायोजन है जिसमें चालक के आकार में वृद्धि किये बिना ही उसकी धारिता को बढ़ा दिया जाता है। संधारित्र, विद्युत् ऊर्जा (अर्थात् आवेश) संचित करने का साधन है।

संधारित्र में एक आवेशित चालक, दूसरे भूसम्पर्कित चालक से पास रखा जाता है। ऐसा करने से आवेशित चालक का विभव घट जाता है तथा सूत्र C =Q/V के अनुसार चालक की धारिता बढ़ जाती है।

 यदि तीन संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हैं। इस संयोजन में प्रत्येक संधारित्र की एक प्लेट को एक बिन्दु A पर जोड़कर आवेशित किया जाता है। दूसरी प्लेट को दूसरे बिन्दु B पर जोड़कर पृथ्वी से जोड़ दिया जाता है। प्रत्येक संधारित्र की आवेशित प्लेट का विभव V होगा (क्योंकि वे सभी v विभव वाले एक ही बिन्दु से जुड़ी है।) तथा प्रत्येक संधारित्र की पृथ्वी से सम्बन्धित प्लेट का विभव शून्य होगा। अर्थात् प्रत्येक संधारित्र की प्लेटों के मध्य विभवान्तर V होगा। अब यदि कुल आवेश+Q दिया जाता है तो यह आवेश, संधारित्र की धारिता के अनुसार तीन भागों Q1.Q2, Q3 में बँट जायेगा। इस प्रकार, समान्तर संयोजन में प्रत्येक संधारित्र की प्लेटों के मध्य विभवान्तर समान होगा लेकिन आवेश अलग-अलग होगा।

MP board 12th Physics Trimasik Paper Solution 2021-22 PDF download


प्रथम संधारित्र पर आवेश,Q1 =C1V

द्वितीय संधारित्र पर आवेश,Q2= C2V

तृतीय संधारित्र पर आवेश, Q3=C3V

अब चूँकि कुल आवेश Q दिया गया है, अत:

या                           Q=Q1+Q2+Q3

या।                        Q=C1V+C2V+C3V

                                = V(C1+C2+C3)

अब यदि इन तीनों संधारित्रों की तुल्य धारिता C है जिसकी प्लेटों के मध्य विभवान्तर V तथा आवेश

Q है तो Q=CV

CV = V(C1+C2+C3) या C = C1+C2+C3

यदि समान धारिता C के संधारित्र समान्तर क्रम में जोड़े जायें तो तुल्य धारिता

                     = C+C+C+...n बार = nC


प्रश्न 8. वान-डी-ग्राफ जनित्र का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए-

(i) नामांकित चित्र, (ii) सिद्धान्त, (iii) उपयोग तथा (iv) दोष।

अथवा

वान-डी-ग्राफ जनित्र की संरचना एवं कार्यविधि समझाइए। इसके उपयोग बताइए।

उत्तर-(i) संरचना- इसमें एक बहुत बड़ा (लगभग 5 मीटर व्यास का) खोखला धात्विक चिकना गोला S होता है जो एक विद्युत्रोधी स्तम्भ P पर रखा रहता है। स्तम्भ की ऊँचाई लगभग 15 मीटर होती है। किसी विद्युत्रोधी पदार्थ (जैसे, रबर या रेशम) की एक पेटी (Belt) B, नीचे लगी हुई घिरनी P1 और ऊपर लगी हुई घिरनी P2 पर होकर गुजरती है। नीचे की घिरनी P को लगातार एक मोटर की सहायता से घुमाया जाता है। A तथा H नुकीले चालक हैं जो क्रमशः नीचे तथा ऊपर, पेटी B के समीप रखे रहते हैं।

(ii) नामांकित चित्र-

MP board 12th Physics Trimasik Paper Solution 2021-22 PDF download


(iii) सिद्धान्त- किसी आवेशित चालक के नुकीले सिरे पर आवेश घनत्व, उसकी समतल सतह की अपेक्षा अधिक होता है।

(iv) कार्यविधि- चालक A को उच्च विभव बैटरी की सहायता से पृथ्वी के सापेक्ष उच्च धनात्मक विभव पर रखते हैं। जब पेटीBघिरनी, P1 से तीर की दिशा में ऊपर की ओर जाते हुए चालक A की नोंक के पास से गुजरती है तो वह धनावेशित हो जाती है। धनावेशित पेटी ऊपर जाकर चालक H की नोंक के पास से गुजरती है जिसका सम्बन्ध धातु के गोले S से होता है, इसलिए प्रेरण द्वारा नोंक Hऋण आवेश और गोले S पर धन आवेश उत्पन्न हो जाता है। नोंक H के ऋण आवेश के कारण इसके आस-पास अत्यन्त तीव्र विद्युत् क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिससे इस स्थान की वायु का आयनीकरण हो जाता है। आयनीकरण के फलस्वरूप उत्पन्न ऋण आवेश पेटी B के धन सEआवेश को निष्फल कर देता है तथा पेटी B, घिरनी P, पर आने से पूर्व ही आवेशरहित हो जाती है। इस प्रकार पेटी से गोले S को लगातार आवेश मिलता रहता है जिससे उसका विभव, पृथ्वी के सापेक्ष बहुत अधिक (लगभग 10मिलियन वोल्ट तक) हो जाता है।

(v) उपयोग- आवेशित कणों को त्वरित करने में।

(vi) दोष- आकार बड़ा होने के कारण असुविधाजनक।

प्रश्न 9. दो आवेशित चालकों को जिनकी धारिताएं क्रमश: C1 एवं C2 हैं तथा विभव V1 एवं V2 हैं, तार द्वारा जोड़ा गया है। उनका उभयनिष्ठ विभव तथा संयोजन में ऊर्जा हानि की गणना कीजिए।

अथवा 

दो आवेशित चालकों को जोड़ने पर आवेशों के वितरण के कारण होने वाली ऊर्जा क्षय की गणना कीजिए।

प्रश्न 10. श्रेणी क्रम में जुड़े तीन संधारित्र की तुल्य धारिता के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।

NOTE - प्रश्न 5,प्रश्न6 और प्रश्न 9,प्रश्न 10 का पूरा solution आपके लिए PDF में उपलब्ध हैं।


Chapter - 3 
विद्युत धारा 

प्रश्न 1. धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉनों से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-धातु में वे इलेक्ट्रॉन जो अपने परमाणुओं से अलग होकर स्वतन्त्र रूप से धातु के अन्दर सभी दिशाओं में अनियमित रूप से घूमते रहते हैं, मुक्त इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं।

प्रश्न 2. अनुगमन वेग तथा धारा घनत्व में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।

उत्तर-माना किसी धात्विक तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है तथा इसके एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या n है। यदि इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग v है तो एक सेकण्ड में तार के अनुप्रस्थ काट से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या, उस बेलन में उपलब्ध मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होगी जिसकी लम्बाई Vd है तथा अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है, अर्थात्

1 सेकण्ड में तार से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = n × Avd

चूँकि प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर आवेश e है, अतः 1 सेकण्ड में प्रवाहित कुल आवेश या धारा,

                               I = (nAvd) × e

धारा घनत्व,J  =  I/A  =  nAvd^e /A =  nevd

प्रश्न 3. तापीय प्रतिरोधक (या थर्मिस्टर) क्या हैं ? इसका उपयोग समझाइए।

उत्तर- ये अर्द्धचालकों से बने ऐसे प्रतिरोधक हैं जिनका विशिष्ट प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। इनका उपयोग मुख्यत: इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में किया जाता है जिससे कि ताप बढ़ने पर तन्तु का प्रतिरोध बढ़ने से इससे होकर प्रवाहित होने वाली धारा लगभग अप्रभावित रहे। इसे तन्तु के साथ श्रेणीक्रम में लगाते हैं। जबतन्तु से अधिक देर तक धारा बहती है तो इसके गर्म हो जाने से तन्तु का प्रतिरोध बढ़ जाता है, लेकिन इसके साथ श्रेणी क्रम मेंं जुड़े तापीय प्रतिरोधक का प्रतिरोध घट जाता है जिससेेे कि तंतु में प्रवाहित होनेे वाली धारा लगभग प्रभावित बनी रहती है।

प्रश्न 4. किसी चालक तार का प्रतिरोध किन-किन कारकों पर निर्भर करता है तथा किस प्रकार ?

उत्तर-(1) तार की लम्बाई पर-तार का प्रतिरोध, उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है (अर्थात् R ∞ l) |

(2) तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर-तार का प्रतिरोध, उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है (अर्थात् R ∞ 1/A) |

(3) तार के ताप पर-धात्विक तार का प्रतिरोध उसका ताप बढ़ने पर बढ़ता है, [Rt =Ro (1+at)] |

(4) तार के पदार्थ पर-विभिन्न पदार्थों के एक जैसे तारों का प्रतिरोध भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 5. किसी पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध की परिभाषा तथा मात्रक लिखिए।

उत्तर- सूत्र R = Pl/A  में यदि l =1 तथा A = 1 हो तो R=p

अर्थात् किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध उस पदार्थ के एकांक घन के आमने-सामने के फलको के बीच के प्रतिरोध के बराबर होता है या दूसरे शब्दों में, किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध उस पदार्थ के 1 मीटर लम्बे तथा 1 मीटर अनुप्रस्थ परिच्छेद वाले तार के प्रतिरोध के तुल्य होता है।

सूत्र p= RA/I से स्पष्ट है कि विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक ओह्म x मीटर है।

प्रश्न 6. विद्युत् हीटर की कुण्डली नाइक्रोम के तार से बनायी जाती है, क्यों ?

उत्तर-विद्युत् हीटर की कुण्डली नाइक्रोम के तार से बनायी जाती है। इसका कारण यह है कि नाइक्रोम का विशिष्ट प्रतिरोध बहुत अधिक होता है तथा इसका गलनांक भी अधिक होता है।

पान 7. ओह्म का नियम क्या है ? इसके लागू होने की शर्त लिखिए।

उत्तर- ओहा के नियमानुसार, यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था (विशेषत: ताप) न बदले तो उसके सिरों पर लगाये गये विभवान्तर तथा उसमें प्रवाहित धारा का अनुपात नियत होता है, अर्थात्

V/I = नियतांक R (जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं)।

इसके लागू होने के लिए चालक का ताप नियत रहना चाहिए।


प्रश्न 8. मोटर गाड़ी को स्टार्ट करने पर उसकी हैडलाइट कुछ मन्द पड़ जाती है, क्यों ?

उत्तर-गाड़ी स्टार्ट करने पर स्टार्टर, बैटरी से उच्च धारा लेता है। अतः बैटरी में विभव पतन Ir अधिक होता है जिससे बैटरी का विभवान्तर काफी कम हो जाता है तथा हैडलाइट मन्द हो जाती है।

प्रश्न 9. विभव प्रवणता किसे कहते हैं ? इसका मात्रक लिखिए।

उत्तर- विभवमापी के तार पर प्रति सेमी लम्बाई में विभवान्तर को उसकी विभव प्रवणता कहते हैं। इसका मात्रक वोल्ट/सेमी है।

प्रश्न 10. विभवमापी, वोल्टमीटर से किस प्रकार श्रेष्ठ है ?

उत्तर- विभवमापी द्वारा किसी सेल का वि. वा. बल नापने में शून्य विक्षेप की स्थिति में सेल से कोई धारा नहीं ली जाती है, अत: विभवमापी को अनन्त प्रतिरोध का आदर्श वोल्टमीटर माना जा सकता है तथा इससे वि. वा. बल की शुद्ध माप होती है।

वोल्टमीटर का प्रतिरोध, वास्तव में, अनन्त नहीं होता है, अत: इससे सेल का वि. वा. बल नापने में सेल से कुछ-न-कुछ धारा अवश्य ही इससे होकर बहती है, जिससे यह वि. वा. बल का शुद्ध मापन नहीं कर पाता है।

प्रश्न 11.  समान प्रतिरोध 2ओह्म वाले 5 चालक तारों को क्रमशः श्रेणीक्रम व समांतर क्रम में जोड़ा जाता है प्रत्येक दशा में तुल्य प्रतिरोध कितना होगा।? 

उत्तर-  श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध = 2+2+2+2+2 = 10ओह्म

समांतर क्रम में यदि तुल्य प्रतिरोध R' है तो

1/R'= 1/2 +1/2 +1/2 +1/2+ 1/2 =2/5  या R'=2/5 = 0.4ओह्म।

प्रश्न12.  किसी सेल की विद्युत वाहक बल तथा विभवांतर में अंतर लिखिए।

प्रश्न 13.   3 प्रतिरोधों r1 r2 तथा r3 को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है नामांकित चित्र बनाकर तुल्य प्रतिरोध का व्यंजक स्थापित कीजिए।

प्रश्न 14. तीन प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ा गया है परिपथ आरेख बनाकर तुल्य प्रतिरोध का व्यंजक स्थापित कीजिए।

प्रश्न 15.  विभिन्न चालकों की विद्युत धारा के वितरण को ज्ञात करने के क्रिचोफ के नियमों को समझाइए।

प्रश्न 16. क्रिचोफ के नियम से व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धांत P/Q  = R/S  सिद्ध कीजिए।

प्रश्न 17.  किसी सेल  के विद्युत वाहक बल, विभवांतर एवं आंतरिक प्रतिरोध मैं संबंध स्थापित कीजिए।

प्रश्न 18.  विभवमापी की सहायता से किसी प्राथमिक सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करने के प्रयोग का निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत वर्णन कीजिए   1. विद्युत परिपथ 2. विधि  3. परीक्षण सारणी  4. सूत्र की स्थापना   5. दो सावधानियां।

NOTE- प्रश्न 12-18 तक के प्रश्नों का full solution PDF में उपलब्ध है।

Chapter - 4   
गतिमान आवेश एवं चुम्बकत्व

प्रश्न 1. फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम लिखिए।

उत्तर- यदि हम बायें हाथ का अँगूठा, तर्जनी अंगुली तथा

बीच की अंगुली तीनों को एक-दूसरे के लम्बवत् फैलायें तथा तर्जनी अँगुली चुम्बकीय क्षेत्र  की दिशा B को तथा बीच वाली अंगुली धनात्मक आवेशित कण के वेग v की दिशा को या चालक में बहने वाली धारा I की दिशा इंगित करे तो अँगूठा आवेशित कण या चालक पर लगने वाले बल F की दिशा बतायेगा।

प्रश्न 2. धारामापी की कुण्डली के बीच में नर्म लोई की एक क्रोड रखी जाती है, क्यों?

उत्तर-धारामाफी की कुण्डली के बीच में नर्म लोहे की क्रोड रखने से कुण्डली पर लगने वाला चुम्बकीय क्षेत्र त्रिज्यीय  हो जाता है तथा नर्म लोहे की चुम्बकनशीलता अधिक होने के कारण यह चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल हो जाता है।

प्रश्न 3 चल कुंडली धारामापी की कुंडली  एल्युमीनियम के फ्रेम पर क्यों लपेटी जाती है दो कारण लिखिए।

उत्तर- (1) ऐलुमिनियम अचुम्बकीय तथा हल्की धातु है, अत: कुण्डली को घुमाने के लिए कम बल आघूर्ण की आवश्यकता होती है।

(2). धात्विक फ्रेम होने से जब कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है तो इससे सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान बदलता है जिसके फलस्वरूप फ्रेम में भँवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं तथा कुण्डली शीघ्र ही स्थिर हो जाती है।

प्रश्न 4. शण्ट किसे कहते हैं ? इसका उपयोग लिखिए।

उत्तर- शण्ट एक अल्प प्रतिरोध होता है जिसे धारामापी के साथ समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।

उपयोग- शण्ट का उपयोग धारामापी को अमीटर में बदलने में किया जाता है।

प्रश्न 5. शण्ट लगाने के दो लाभ लिखिए।

उत्तर-(1) शण्ट लगाने से धारामापी का प्रभावी प्रतिरोध घट जाता है जिससे धारामापी को विद्युत् परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ने पर परिपथ का प्रतिरोध लगभग अपरिवर्तित रहता है। अतः परिपथ की धारा उतनी ही बनी रहती है जितनी कि धारामापी को जोड़ने से पहले होती है।

(2) शण्ट लगाने से चूँकि धारामापी की कुण्डली से होकर परिपथ की मुख्य धारा का केवल अल्प भाग ही इससे होकर प्रवाहित होता है, अत: मुख्य परिपथ में प्रबल धारा बहने पर भी धारामापी की कुण्डली सुरक्षित रहती है।


प्रश्न 6. वोल्टमीटर का प्रतिरोध बहुत अधिक तथा अमीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है। क्यों?

उत्तर- वोल्टमीटर, विभव नापता है, अत: इसे समान्तर क्रम में लगाया जाता है तथा इसे लगाने पर इससे कोई धारा प्रवाहित नहीं होनी चाहिए, इसलिए वोल्टमीटर का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है जबकि अमीटर परिपथ में धारा नापता है, अत: इसे श्रेणीक्रम में लगाया जाता है तथा इसको लगाने से परिपथ में धारा नहीं बदलनी चाहिए, इसलिए अमीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है।

प्रश्न 7. साइक्लोट्रॉन क्या है ? इसका  सिद्धान्त लिखिये।

उत्तर-साइक्लोट्रॉन आवेशित कण को त्वरित कराने की युक्ति है। इसका कार्य सिद्धान्त विद्युत् तथ: चुम्बकीय क्षेत्र में आवेशित कण की गति पर आधारित है। इसमें कम विभवान्तर प्रयुक्त करके चुम्बकीय क्षेत्र में आवेशित कण को वृत्ताकार मार्ग से घुमाकर बार-बार विद्युत् क्षेत्र से होकर गुजारा जाता है।

प्रश्न  8. बायो सावर्ट का नियम लिखिए इससे धारा के मात्रक की परिभाषा दीजिए।

प्रश्न 9.   एंपियर के परिपथीय नियम का उपयोग करके अनंत लंबाई के सीधे धारावाही तार के कारण किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक प्राप्त कीजिए।


प्रश्न 10 चल कुंडली धारामापी का वर्णन निम्न बिंदुओं के आधार पर कीजिए-1. नामांकित रेखाचित्र 2. क्रिया सिद्धांत 3. धारा के लिए व्यंजक की स्थापना।

प्रश्न 11. चल कुंडली धारामापी को मीटर में परिवर्तित करने की विधि का वर्णन निम्न बिंदुओं के अंतर्गत कीजिए- नामांकित चित्र तथा सिद्धांत।

प्रश्न 12. साइक्लोट्रॉन का वर्णन निम्नलिखित शीर्षक के अंतर्गत कीजिए-1. सिद्धांत  2. संरचना और कार्यविधि  3.आवेशित कण द्वारा प्राप्त अधिकतम गतिज ऊर्जा के लिए सूत्र की स्थापना।

प्रश्न 14. अमीटर तथा वोल्ट मीटर में अंतर लिखिए।

प्रश्न 15. बायो-सावार्ट का नियम दीजिए तथा इसकी सहायता से एक लम्बे ऋजु धारावाही तार के कारण इसके समीप किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक स्थापित कीजिए।

NOTE- प्रश्न 8-प्रश्न 15 तक के सभी प्रश्नों का full solution PDF में उपलब्ध है।


दोस्तों आशा करते हैं आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो इसमें आपको कक्षा 12वीं के परीक्षा में आने वाले सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को बताया गया है आप इन प्रश्नों की अच्छे से तैयारी करें और इस पोस्ट को अवश्य ही अपने सभी दोस्तों को शेयर करें।

3 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने